परिणाम- कविता लेखन प्रतियोगिता

कोरोना महामारी से बचाव
पंछी आजाद उड़ रहा है, तुझसे यह कह रहा है |
इतने सितम जो किये तूने, उसी को तू सह रहा है ||
आई है कोरोना नाम की एक महामारी|
लड़ रही है इसके खिलाफ एक साथ दुनिया सारी ||
प्रधानमंत्री हमारे कर रहे बचाने की कोशिश पूरी |
आग्रह करते देशवासी से बनाए एक दूसरे से दूरी ||
जब भी निकले घर से, जाए मास्क लगाकर |
लौटे जब घर को, धोए हाथ रगड़कर ||
करते हैं हम उन सफेद कोट वालों को मान |
परोपकारी बन जो बचा रहे हैं, कितने लोगों की जान ||
बेवजह बाहर निकलकर क्यों करें उनका अपमान |
आए जो अपने परिवार छोड़कर, बचाने हमारी जान ||
जरा सोचो उनका, जिनका घर है सैंकड़ों किलोमीटर दूर |
मेरी यही विनती प्रभु से, सही-सलामत पहुँचे मजदूर ||
आग्रह है मेरी आपसे, माने प्रधानमंत्री जी की बात |
नहीं तो पड़ सकता है आपको, जीवन से धोना हाथ ||
है तुमसे यह वादा मेरा, आएगा इक नया सवेरा |
यह दौर भी कुछ सीखा जायेगा, फिर से ह हर इंसान मुस्कुराएगा ||
तमन्ना मुँधड़ा
कक्षा-9
पिता- पवन कुमार मुँधड़ा
माता-नीलम मुँधड़ा

कोरोना हारेगा
विशव्यापी मे अपनी अलग पहचान लेकर मानेगा,
पर इस कोरोना से भारत कभी न हारेगा|
सदैव पहनेगा मास्क, सोशल दूरियाँ बनाएगा,
न हाथ मिलाएगा, न हौसला गवाएगा||
नैन्सी कुमारी,
कक्षा-3
पिता- अमित अग्रवाल
माता- पूजा देवी

कोरोना
रक्तबीज- सा चरित्र तुम्हारा
तू हालाहल की प्याला |
उद्गम तेरा ड्रैगन की कोख से
जग को त्रस्त कर डाला |
तेरे विध्वंस की चक्की में
पीस रहा जग का हर कोना |
मानवता कराह उठी है
कहर से तेरे क्षुद्र कोरोना |
मत भूल कि हम मानव हैं
हर मुश्किल पर जय पाते हैं |
मिलकर लेते संकल्प सभी
जीवों में श्रेष्ट कहलाते हैं |
दूर रहेंगे, स्वच्छ रहेंगे
पास न तुझको आने देंगे |
बन रहा लैब में आमोध अस्त्र
तेरा नामोनिशान मिटाएंगे |
कृष्णम प्रियदर्शी,
कक्षा-6
दादा - श्री सत्यनारायण प्रसाद यादव
दादी - श्रीमती निर्मला देवी
पिता - संतोष कुमार सुधांशु
माता – स्नेहलता